16 सोमवार व्रत, नियम, कथा, पूजा विधि | 16 Somvar vrat, rules, katha, puja vidhi

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16 सोमवार व्रत | Monday fasts

16 सोमवार व्रत ज्यादातार हिंदू धर्म के लोग रखते हैं। 16 सोमवार व्रत भगवान शिव के लिए होता है। ऐसा कहा जाता है कि 16 सोमवार व्रत करने से शिव जी प्रसन्न होते हैं और लोगों की इच्छा पूरी होती है। 16 somvara vratam के लिए पूरा दिन व्रत करना होता है, पानी और फलों का सेवन किया जा सकता है। आशीर्वाद और आध्यात्मिक विकास पाने के लिए व्यक्ति को प्रार्थना और पूजा में संलग्न रहना चाहिए। ऐसा माना जाता है कि सोमवार का व्रत शांति, शक्ति और समृद्धि लाता है।

16 somvar vrat in hindi | 16 somvar vrat 2023 in hindi

16 somvar vrat सावन के महीने में रखा जाता है. यह व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है और यह व्रत 16 सोमवार का होता है। पुराणों के अनुसार यह सबसे फलदायी व्रतों में से एक है।

16 somvar vrat
16 somvar vrat

16 somvar vrat ke niyam | solah somvar vrat rules | rules of 16 somvar vrat in hindi

  1. सुबह जल्दी उठना चाहिए I
  2. सुबह स्नान के समय काले तिल पानी में डालकर नहाएं I
  3. भगवन सूर्यदेव को जल चढ़ाएं और उसमें थोड़ी हल्दी ज़रूर डाले I
  4. यदि आपके घर पे शिवलिंग है या शिव की मूर्ति है तोह उन्हें तांबे के बर्तन में रखे और उनका अभिषेक करे I
  5. आप चाहे तोह पानी, काले तिल, गन्ने के रस, दूद, घी, दही या चने के दाल से किसी भी चीज़ से भगवन भोलेनाथ का अभिषेक कर सकते हैं I
  6. भगवन शिव की पूजा अर्चना करेट समय ॐ नमः शिवाय का जाप करते रहे I
  7. भगवान शिव को सफेद रंग बहुत पसंद है। 16 somvar vrat puja vidhi में शिव जी को सफेद फूल, सुपारी, गंगा जल, सफेद चंदन, सफेद चावल, पंचामृत, फल का इस्तमाल करके इस भगवान शिव और माता पार्वती का पूजन करें।
  8. भोलेनाथ का अभिषेक करें समय मंत्र जाप करें। आप चाहें तो महामृत्युंजय मात्रा या शिव जी का पंचाक्षरी मंत्र का जाप करें और ध्यान रखें कि मंत्र में गलत शब्दों का उपचार न हो।
  9. 16 सोमवार व्रत में 16 somvar vrat katha अवश्य करें और अपने घर के सभी लोगो को साथ बिठाकर कथा का श्रवण करायें I
  10. कथा के बाद भगवान शिव (16 somvar vrat ki aarti) की आरती करें, भोग लगाएं और घर परिवार में बांटें I
  11. 16 सोमवार व्रत में एक समय का भोजन अवश्य करे पर उस खाने में नमक नहीं होना चाहिए। आप मीठा भोजन कर सकते हैं और दिन में सोए ना बाल्कि ओम नमः शिवाय का जाप करें I
  12. भगवान शिव की पूजा, 16 somvar vrat vidhi puja का समय तय करके रखें और हर सोमवार को उसी समय पूजा करें I
  13. हर सोमवार एक ही समय पर प्रसाद ग्रहण करे। प्रसाद के लिए तुलसी, लौंग, चूरमा, खीर, गंगाजल, लड्डू। जिस भी प्रसाद को पहले 16 सोमवार व्रत में आप चुनेंगे आप 16 सोमवार तक हर हफ्ते वही प्रसाद ग्रहण करेंगे और उसी का भोग लगाएंगे I
  14. 16 सोमवार व्रत में एक जगह पर बैठकर प्रसाद ग्रहण करें। चलते फिरते प्रसाद ग्रहण न करे। कोशिश करें कि एक शादीशुदा जोड़े को उस दिन कोई उपहार दे, जिसका आप प्रसाद, फाल, कपड़े आदि दे सकते हैं।
  15. 16 सोमवार को अपना पूजन, प्रसाद, आरती और भोग का समय निर्धारित रखे, इसे हर सोमवार बदले नहीं। कोशिश करे के नियम के अनुसार पूजा करे I

16 somvar vrat vidhi in english

In the 16th Monday ritual, one has to take bath in the morning and wear clean clothes. We have to remember Lord Shiva on this pure day.
For worship, spread a white colored seat and anoint the Shivalinga with water and Ganga water, then anoint it with Panchamrit and again anoint it with water. After this, install Lord Ganesha, and then install the idol of Shiva family. 16 Monday fast can be started from any Monday of Sawan. Purify its spoiled Ganga water and apply tilak with sandalwood on its spoiled saree idols. Do not apply tilak to Lord Shiva with vermilion or turmeric. Then light the lamp and offer the sacred thread to Lord Ganesha and Lord Shiva. After this offer Klava to everyone. Offer its white colored flowers to Lord Shiva. 16 Monday Puja goes in the evening, before sunset. Then offer Bhel leaves, the smooth side of the Bhel leaves should touch Lord Shiva. Offer Dhatura Al, worship Goddess Parvati, for which offer Chunari and Shingar to the Goddess. After this, offer Dakshina and again offer Bhog Prasad, in which you can offer 3 Churma Laddus, one of which is of cow, one of Lord Shiva and one of yours. You can offer 12 bananas, out of which 4 will belong to the cow, offer 4 to Lord Shiva and eat the 4 bananas. After this do 16 somvar vrat aarti and read or listen to 16 somvar vrat katha. It is very important to follow the rules and regulations of 16 Monday fast, otherwise the 16 Monday fast will be broken.

16 somvar vrat mantra

16 सोमवार व्रत में 16 somvar vrat mantra – ओम नमः शिवाय या फिर महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। ध्यान रखें कि मंत्र में लिखे हर शब्द को आप सही से बोलें।

16 somvar vrat mantra
16 somvar vrat mantra

महामृत्युंजय मंत्र

ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||

Om Tryambak Yajamahe
Sugandhim Pushtee-Vardhanam ।
Urvarukmeva Bandhanaan
Mrtyoh-Mrukshiya MaaMmrataat ॥

16 somvar vrat vidhi, source - Amazon
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16 somvar vrat ki vidhi | procedure of 16 somvar vrat

16 somvar vrat pooja vidhi in hindi |16 somvar vrat vidhi 2023

16 सोमवार विधि में सुबह नहाकर शुद्ध कपडे पहन ने हैं। शुद्ध दिन शिव जी का स्मरण करना है।
पूजा के लिए सफेद रंग का आसन बिछा लें और शिवलिंग का जल और गंगाजल से अभिषेक करें, फिर पंचामृत से अभिषेक करें और फिर से जल से अभिषेक करें। इसके बाद गणेश जी की स्थापना करें, और फिर शिव परिवार की प्रतिमा की स्थापना करें। 16 सोमवार व्रत को सावन के किसी भी सोमवार से शुरू कर सकते हैं। इसके खराब गंगाजल के शुद्धिकरण करें और उसके खराब साड़ी प्रतिमाओं को चंदन से तिलक लगाएं। शिव जी को सिन्दूर या हल्दी से तिलक न लगाये। फिर दिया जला ले और गणेश जी और शिव जी को जनेऊ समर्पित करदे। इस्के बाद सभी को क्लावा समर्पित करे। इसके बुरे सफेद रंग के फूल शिव जी को चढ़ाएं। 16 सोमवार पूजा शाम को जाती है, सूर्यस्त से पहले। फिर भेलपत्र चढ़ाए, भेल पत्र चढ़ाए हुए चिकनी वाली साइड शिव जी को स्पर्श होना चाहिए। धतूरे के अल चढ़ाये, पार्वती मां की पूजा करें, जिसके लिए मां को चुनरी चढ़ाएं और शिंगार चढ़ाएं। इसके बाद दक्षिणा चढ़ाएं और फिर से भोग प्रसाद चढ़ाएं, जिसमें 3 चूरमा लड्डू चढ़ा सकते हैं, जिसमें से एक गाय का है, एक शिव जी और एक आपका। आप 12 केले चढ़ा सकते हैं, जिसमें से 4 केले गाय के होंगे, 4 शिव जी को चढ़ाएं और 4 केले आप खा ले। इसके बाद 16 somvar vrat aarti करें और 16 सोमवार व्रत कथा पढ़ें या सुने। 16 सोमवार व्रत विधि नियम का पालन करना बहुत जरूरी है वरना 16 सोमवार व्रत खंडित हो जाएंगे I

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16 व्या सोमवारच्या विधीमध्ये सकाळी स्नान करून स्वच्छ कपडे घालावे लागतात. या पवित्र दिवशी आपण भगवान शंकराचे स्मरण केले पाहिजे. पूजेसाठी पांढऱ्या रंगाचे आसन पसरवून शिवलिंगाला पाणी व गंगाजलाने अभिषेक करून पंचामृताने अभिषेक करून पुन्हा पाण्याने अभिषेक करावा. यानंतर श्रीगणेशाची प्रतिष्ठापना करा, त्यानंतर शिव परिवाराच्या मूर्तीची प्रतिष्ठापना करा. 16 सोमवारचे व्रत श्रावणाच्या कोणत्याही सोमवारपासून सुरू करता येते. त्याचे खराब झालेले गंगाजल शुद्ध करा आणि तिच्या खराब झालेल्या साडीच्या मूर्तीवर चंदनाचा तिलक लावा. शिवाला सिंदूर किंवा हळद लावून तिलक लावू नये. त्यानंतर दिवा लावा आणि श्रीगणेश आणि भगवान शंकराला पवित्र धागा अर्पण करा. क्लावा त्याच्या सर्व वाईट समर्पित. त्याची पांढऱ्या रंगाची फुले भगवान शंकराला अर्पण करा. 16 सोमवारची पूजा संध्याकाळी सूर्यास्तापूर्वी होते. नंतर भेळची पाने अर्पण करा, भेळच्या पानांची गुळगुळीत बाजू भगवान शिवाला स्पर्श करावी. धतुरा आला अर्पण । यानंतर देवी पार्वतीची पूजा करा, त्यासाठी देवीला चुनरी आणि शिंगार अर्पण करा. यानंतर दक्षिणा अर्पण करा आणि पुन्हा भोग प्रसाद द्या, ज्यामध्ये तुम्ही 3 चुरमा लाडू देऊ शकता, त्यापैकी एक गायीचा, एक भगवान शिवाचा आणि एक तुमचा आहे. तुम्हाला हवी असलेली 12 केळी तुम्ही कोणालाही अर्पण करू शकता, त्यापैकी 4 गायीची असतील, 4 शिवाला अर्पण करा आणि 4 केळी खा. यानंतर 16 सोमवार व्रत आरती करा आणि 16 सोमवार व्रत कथा वाचा किंवा ऐका. 16 सोमवारच्या उपवासाचे नियम आणि कायदे पाळणे अत्यंत आवश्यक आहे, अन्यथा 16 सोमवारचा उपवास खंडित होईल.

16 somvar vrat vidhi in gujrati | 16 somvar vrat vidhi 2023

16માં સોમવારની વિધિમાં સવારે સ્નાન કરીને સ્વચ્છ વસ્ત્રો પહેરવાના હોય છે. આ પવિત્ર દિવસે ભગવાન શિવનું સ્મરણ કરવું જોઈએ.
પૂજા માટે સફેદ રંગનું આસન ફેલાવીને શિવલિંગ પર પાણી અને ગંગાજળનો અભિષેક કરો, પછી પંચામૃતથી અભિષેક કરો અને ફરીથી પાણીથી અભિષેક કરો. આ પછી, ભગવાન ગણેશની સ્થાપના કરો, અને પછી શિવ પરિવારની મૂર્તિની સ્થાપના કરો. 16 સોમવાર વ્રત શવનના કોઈપણ સોમવારથી શરૂ કરી શકાય છે. તેના બગડેલા ગંગા જળને શુદ્ધ કરો અને તેની બગડેલી સાડીની મૂર્તિઓ પર ચંદન વડે તિલક કરો. ભગવાન શિવને સિંદૂર કે હળદરથી તિલક ન કરવું. પછી દીવો પ્રગટાવો અને ભગવાન ગણેશ અને ભગવાન શિવને પવિત્ર દોરો અર્પણ કરો. ક્લાવા તેના તમામ ખરાબ માટે સમર્પિત છે. તેના સફેદ રંગના ફૂલ ભગવાન શિવને અર્પણ કરો. 16 સોમવાર પૂજા સાંજે જાય છે, સૂર્યાસ્ત પહેલા. પછી ભેલના પાન ચઢાવો, ભેલના પાનની લીસી બાજુ ભગવાન શિવને સ્પર્શવી જોઈએ. ધતુરા અલ અર્પણ કરો, દેવી પાર્વતીની પૂજા કરો, જેના માટે દેવીને ચુનરી અને શિંગર અર્પણ કરો. આ પછી દક્ષિણા અર્પણ કરો અને ફરીથી ભોગ પ્રસાદ ચઢાવો, જેમાં તમે 3 ચૂરમા લાડુ અર્પણ કરી શકો છો, જેમાંથી એક ગાયનો છે, એક ભગવાન શિવનો છે અને એક તમારો છે. તમે જેને ઈચ્છો તેને 12 કેળા અર્પણ કરી શકો છો, જેમાંથી 4 ગાયના હશે, 4 ભગવાન શિવને અર્પણ કરો અને 4 કેળા ખાઓ. આ પછી 16 સોમવાર વ્રત આરતી કરો અને 16 સોમવાર વ્રત કથા વાંચો અથવા સાંભળો. 16 સોમવારના ઉપવાસના નિયમો અને નિયમોનું પાલન કરવું ખૂબ જ મહત્વપૂર્ણ છે, નહીં તો 16 સોમવારના ઉપવાસ તૂટી જશે.

16 somar vrat ka udyapan vidhi | 16 somvar vrat ka udyapan | 16 somvar vrat udyapan kaise kare ?

भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग सावन मास का व्रत करते हैं और कई लोग इसमे 16 सोमवार का व्रत भी शुरू करते हैं। आइये जानते हैं कि 16 somvar vrat udyapan कैसे करें-

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सोमवार का दिन देवो के देव महादेव का दिन होता है। आप अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए 16 सोमवार का व्रत करें। 16 सोमवार व्रत के उद्यापन के लिए सावन, कार्तिक, पेसा और ज्येष्ठ माहिना श्रेष्ठ माना जाता है। इस व्रत के उद्यापन में शिव और पार्वती की पूजा करने के साथ-साथ चंद्रमा की पूजा करने का विधान होता है। उद्यापन का शुद्ध विधि विधान से करना जरूरी है तभी आपकी पूजा संपन्न होती है। उद्यपन के लिए 16 सोमवार के व्रत जब पूरे हो जाएं तो 17 सोमवार को उद्यापन किया जाता है, लेकिन अगर आपको बीच में पीरियड्स आ जाए तो 17 सोमवार को छोड़ दें और 18 सोमवार को उद्यापन करें।16 somvar vrat udyapan solah somvar vrat last day ko kia jata hai. Solah somvar vrat ka udyapan ke liye 17th somvar ko pooja kare, 16 somvar vrat periods time me pooja na kare aur uss somvar ko chod de aur agle somvar se continue kare. Aap kisi aur se pooja karwa sakte hain yadi 16 somvar vrat periods ke bich me aa jaye.

16 सोमवार व्रत विधि उद्यापन के लिए 16 सोमवार के दिन सुबह उठकर सफेद कपड़े पहन लें और हवन करें। इसके लिए अपने 16 somvar vrat puja स्थल को गंगाजल से शुद्ध कर लें, फिर पूजा स्थल पर केले के 4 खंबे के द्वार मंडप बना लें और आम के पत्तों से सजा ले। पूर्व दिशा की और मुंह करके अपने आसन पर बैठ जाएं और 16 somvar vrat samagri रखले। हवन करते समय कलश का होना आवश्यक है और ओम नमः शिवाय कहते हुए 108 बार आहुति दे। उद्यापन में शिव जी का दूद, दही, घी शक्कर से अभिषेक किया जाता है I हवन एक विधि पूर्व होना जरूरी है वरना आपकी पूजा अधूरी मानी जाएगी, हवन के बाद शिव जी की आरती करें और कथा भी सुनें। उद्यापन के समय सवा किलो आते हैं या सवा किलो आटे का प्रसाद लगता है। भोग के बाद, प्रसाद के 3 भाग करे, एक भाग गाय को देदे, दूसरा भाग प्रसाद के रूप में सबको बांट दे और तीसरा भाग खुद सेवन कर ले। हवन के बाद 16 शादीशुदा जोड़े को भोजन करवाएं और महिलाओं को कपड़े या सुहाग का सामान दे और पुरुषों को 5 कपड़े जिनमें पैंट, तौलिया, शर्ट, रुमाल और बनियान दे। इनके ऊपर दक्षिणा भी राखे। यदि आप कपड़े नहीं दे सकते तो आप महिलाओं को मेकअप का सामान और पुरुषों को एक तौलिया या रुमाल भी दे सकते हैं। यदि आपने पंडित जी को बुलाया है तो उन्हें भी दक्षिणा दे, भोजन करवाएं और आशीर्वाद लें और उसके बाद ही अपना भोजन करें। आप भोजन में वही खा सकते हैं जो आप अपने 16 सोमवार व्रत में खाते आ रहे हैं और इस दिन नमक का सेवन नहीं कर सकते। इस तरह शिव जी का 16 सोमवार का व्रत पूरा होता है। solah somvar vrat katha udyapan me niche likhi samagri ko ikatha kar le.

16 सोमवार व्रत
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16 somvar vrat udyapan samagri list | 16 somvar vrat samagri in hindi

16 somvar vrat udyapan samagri के लिए अगरबत्ती, माचिस या धूपबत्ती, चावल, रोरी, मोरी धागा, क्लावा, भस्म या सफेद चंदन, 16 सुपारी, लौंग, छोटी इलायची, नारियल, 16 पान के पत्ते, फूलो की माला, 16 फाल, 16 जनेऊ।
प्रसाद के लिए इलाइची दाना, पतासा या मिष्ठान, शहद, कलश, हवन सामग्री का पैकेट, हवन कुंड, देसी घी, भेल पत्र, शिंगार का सामान, तौलिया, माता पार्वती के लिए चुनरी, पंचान बनाने के लिए देसी घी, शक्कर, गाय दूध, दही, शहद लेले I

solah somvar vrat udyapan
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16 somvar vrat katha lyrics dekhiye aur padhiye-

एक बार भगवान शिव जी पार्वती जी के साथ भ्रमण करते हुए मृत्युलोक की अमरावती नगर में पहुँचे I उस नगर के राजा ने भगवान शिव का एक विशाल मंदिर बनवा रखा था I शिव और पार्वती उस मंदिर में रहने लगे.एक दिन पार्वती ने भगवान शिव से कहा- ‘हे प्राणनाथ! आज मेरी चौसर खेलने की इच्छा हो रही है I’ पार्वती की इच्छा जानकर शिव पार्वती के साथ चौसर खेलने बैठ गए I खेल प्रारंभ होते ही उस मंदिर का पुजारी वहां आ गया I माता पार्वती जी ने पुजारी जी से पूछा – कि हे पुजारी जी! यह बताइए कि इस बाज़ी में किसकी जीत होगी?

ब्राह्मण ने कहा – कि महादेव जी की I परन्तु चौसर में शिवजी की पराजय हुई और माता पार्वती जी जीत गईं I तब ब्राह्मण को उन्होंने झूठ बोलने के अपराध में कोढ़ी होने का श्राप दिया I शिव और पार्वती उस मंदिर से कैलाश पर्वत लौट गए I पार्वती जी के श्राप के कारण पुजारी कोढ़ी हो गया I नगर के स्त्री-पुरुष उस पुजारी की परछाई से भी दूर-दूर रहने लगे I कुछ लोगों ने राजा से पुजारी के कोढ़ी हो जाने की शिकायत की तो राजा ने किसी पाप के कारण पुजारी के कोढ़ी हो जाने का विचार कर उसे मंदिर से निकलवा दिया I उसकी जगह दूसरे ब्राह्मण को पुजारी बना दिया I कोढ़ी पुजारी मंदिर के बाहर बैठकर भिक्षा माँगने लगा I

कई दिनों के पश्चात स्वर्गलोक की कुछ अप्सराएं, उस मंदिर में पधारीं, और उसे देखकर कारण पूछा I पुजारी ने निःसंकोच पुजारी ने उन्हें भगवान शिव और पार्वतीजी के चौसर खेलने और पार्वतीजी के शाप देने की सारी कहानी सुनाई I तब अप्सराओं ने पुजारी से सोलह सोमवार का विधिवत व्रत्र रखने को कहा I

पुजारी द्वारा पूजन विधि पूछने पर अप्सराओं ने कहा- ‘सोमवार के दिन सूर्योदय से पहले उठकर, स्नानादि से निवृत्त होकर, स्वच्छ वस्त्र पहनकर, आधा सेर गेहूँ का आटा लेकर उसके तीन अंग बनाना.फिर घी का दीपक जलाकर गुड़, नैवेद्य, बेलपत्र, चंदन, अक्षत, फूल,जनेऊ का जोड़ा लेकर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा-अर्चना करना I पूजा के बाद तीन अंगों में एक अंग भगवान शिव को अर्पण करके, एक आप ग्रहण करें I शेष दो अंगों को भगवान का प्रसाद मानकर वहां उपस्थित स्त्री, पुरुषों और बच्चों को बाँट देना I इस तरह व्रत करते हुए जब सोलह सोमवार बीत जाएँ तो सत्रहवें सोमवार को एक पाव आटे की बाटी बनाकर, उसमें घी और गुड़ मिलाकर चूरमा बनाना I फिर भगवान शिव को भोग लगाकर वहाँ उपस्थित स्त्री, पुरुष और बच्चों को प्रसाद बाँट देना I इस तरह सोलह सोमवार व्रत करने और व्रतकथा सुनने से भगवान शिव तुम्हारे कोढ़ को नष्ट करके तुम्हारी सभी मनोकामनाएँ पूरी कर देंगे I इतना कहकर अप्सराएं स्वर्गलोक को चली गईं I

पुजारी ने अप्सराओं के कथनानुसार सोलह सोमवार का विधिवत व्रत किया I फलस्वरूप भगवान शिव की अनुकम्पा से उसका कोढ़ नष्ट हो गया I राजा ने उसे फिर मंदिर का पुजारी बना दिया I वह मंदिर में भगवान शिव की पूजा करता आनंद से जीवन व्यतीत करने लगा I

कुछ दिनों बाद पुन: पृथ्वी का भ्रमण करते हुए भगवान शिव और पार्वती उस मंदिर में पधारे. स्वस्थ पुजारी को देखकर पार्वती ने आश्चर्य से उसके रोगमुक्त होने का कारण पूछा तो पुजारी ने उन्हें सोलह सोमवार व्रत करने की सारी कथा सुनाई I

पार्वती जी भी व्रत की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुईं और उन्होंने पुजारी से इसकी विधि पूछकर स्वयं सोलह सोमवार का व्रत प्रारंभ किया I पार्वती जी उन दिनों अपने पुत्र कार्तिकेय के नाराज होकर दूर चले जाने से बहुत चिन्तित रहती थीं I वे कार्तिकेय को लौटा लाने के अनेक उपाय कर चुकी थीं, लेकिन कार्तिकेय लौटकर उनके पास नहीं आ रहे थे I सोलह सोमवार का व्रत करते हुए पार्वती ने भगवान शिव से कार्तिकेय के लौटने की मनोकामना की I व्रत समापन के तीसरे दिन सचमुच कार्तिकेय वापस लौट आए I कार्तिकेय ने अपने हृदय-परिवर्तन के संबंध में पार्वतीजी से पूछा- ‘हे माता! आपने ऐसा कौन-सा उपाय किया था, जिससे मेरा क्रोध नष्ट हो गया और मैं वापस लौट आया?’ तब पार्वतीजी ने कार्तिकेय को सोलह सोमवार के व्रत की कथा कह सुनाई I

कार्तिकेय अपने एक ब्राह्मण मित्र ब्रह्मदत्त के परदेस चले जाने से बहुत दुखी थे I उसको वापस लौटाने के लिए कार्तिकेय ने सोलह सोमवार का व्रत करते हुए ब्रह्मदत्त के वापस लौट आने की कामना प्रकट की I व्रत के समापन के कुछ दिनों के बाद मित्र लौट आया I ब्राह्मण ने कार्तिकेय से कहा- ‘प्रिय मित्र! तुमने ऐसा कौन-सा उपाय किया था जिससे परदेस में मेरे विचार एकदम परिवर्तित हो गए और मैं तुम्हारा स्मरण करते हुए लौट आया?’ कार्तिकेय ने अपने मित्र को भी सोलह सोमवार के व्रत की कथा-विधि सुनाई I ब्राह्मण मित्र व्रत के बारे में सुनकर बहुत खुश हुआ, उसने भी व्रत किया I

सोलह सोमवार व्रत का समापन करने के बाद ब्रह्मदत्त विदेश यात्रा पर निकला I वहां नगर के राजा राजा हर्षवर्धन की बेटी राजकुमारी गुंजन का स्वयंवर हो रहा था I वहां के राजा ने प्रतिज्ञा की थी कि एक हथिनी यह माला जिसके गले में डालेगी, वह अपनी पुत्री का विवाह उसी से करेगा I

ब्राह्मण भी उत्सुकता वश महल में चला गया I वहां कई राज्यों के राजकुमार बैठे थे I तभी एक सजी-धजी हथिनी सूँड में जयमाला लिए वहां आई I हथिनी ने ब्राह्मण के गले में जयमाला डाल दी I फलस्वरूप राजकुमारी का विवाह ब्राह्मण से हो गया I

एक दिन उसकी पत्नी ने पूछा- ‘हे प्राणनाथ! आपने कौन-सा शुभकार्य किया था जो उस हथिनी ने राजकुमारों को छोड़कर आपके गले में जयमाला डाल दी I’ ब्राह्मण ने सोलह सोमवार व्रत की विधि बताई I अपने पति से सोलह सोमवार का महत्व जानकर राजकुमारी ने पुत्र की इच्छा से सोलह सोमवार का व्रत किया I निश्चित समय पर भगवान शिव की अनुकम्पा से राजकुमारी के एक सुंदर, सुशील व स्वस्थ पुत्र पैदा हुआ I पुत्र का नामकरण गोपाल के रूप में हुआ I

बड़ा होने पर पुत्र गोपाल ने भी मां से एक दिन प्रश्न किया कि मैंने तुम्हारे ही घर में जन्म लिया इसका क्या कारण है I माता गुंजन ने पुत्र को सोलह सोमवार व्रत की जानकारी दी I व्रत का महत्व जानकर गोपाल ने भी व्रत करने का संकल्प किया I गोपाल जब सोलह वर्ष का हुआ तो उसने राज्य पाने की इच्छा से सोलह सोमवार का विधिवत व्रत किया I व्रत समापन के बाद गोपाल घूमने के लिए समीप के नगर में गया I वहां के वृद्ध राजा ने गोपाल को पसंद किया और बहुत धूमधाम से आपनी पुत्री राजकुमारी मंगला का विवाह गोपाल के साथ कर दिया I सोलह सोमवार के व्रत करने से गोपाल महल में पहुँचकर आनंद से रहने लगा I

दो वर्ष बाद वृद्ध राजा का निधन हो गया, तो गोपाल को उस नगर का राजा बना दिया गया I इस तरह सोलह सोमवार व्रत करने से गोपाल की राज्य पाने की इच्छा पूर्ण हो गई I राजा बनने के बाद भी वह विधिवत सोलह सोमवार का व्रत करता रहा I व्रत के समापन पर सत्रहवें सोमवार को गोपाल ने अपनी पत्नी मंगला से कहा कि व्रत की सारी सामग्री लेकर वह समीप के शिव मंदिर में पहुंचे I

पति की आज्ञा का उलघंन करके, सेवकों द्वारा पूजा की सामग्री मंदिर में भेज दी I स्वयं मंदिर नहीं गई. जब राजा ने भगवान शिव की पूजा पूरी की तो आकाशवाणी हुई- ‘हे राजन्! तेरी रानी ने सोलह सोमवार व्रत का अनादर किया हैI सो रानी को महल से निकाल दे, नहीं तो तेरा सब वैभव नष्ट हो जाएगा I आकाशवाणी सुनकर उसने तुरंत महल में पहुंचकर अपने सैनिकों को आदेश दिया कि रानी को दूर किसी नगर में छोड़ आओ I´ सैनिकों ने राजा की आज्ञा का पालन करते हुए उसे तत्काल उसे घर से निकाल दिया I रानी भूखी-प्यासी उस नगर में भटकने लगी I रानी को उस नगर में एक बुढ़िया मिली I वह बुढ़िया सूत कातकर बाजार में बेचने जा रही थी, लेकिन उस बुढ़िया से सूत उठ नहीं रहा था I बुढ़िया ने रानी से कहा- ‘बेटी! यदि तुम मेरा सूत उठाकर बाजार तक पहुंचा दो और सूत बेचने में मेरी मदद करो तो मैं तुम्हें धन दूंगी I’

story of 16 somvar vrat
story of 16 somvar vrat

रानी ने बुढ़िया की बात मान ली I लेकिन जैसे ही रानी ने सूत की गठरी को हाथ लगाया, तभी जोर की आंधी चली और गठरी खुल जाने से सारा सूत आंधी में उड़ गया I बुढ़िया ने उसे फटकारकर भागा दिया I रानी चलते-चलते नगर में एक तेली के घर पहुंची I उस तेली ने तरस खाकर रानी को घर में रहने के लिए कह दिया लेकिन तभी भगवान शिव के प्रकोप से तेली के तेल से भरे मटके एक-एक करके फूटने लगे, तेली ने भी भागा दिया I

भूखी-प्यास से व्याकुल रानी वहां से आगे की ओर चल पड़ी. रानी ने एक नदी पर जल पीकर अपनी प्यास शांत करनी चाही तो नदी का जल उसके स्पर्श से सूख गया I अपने भाग्य को कोसती हुई रानी आगे चल दी.चलते-चलते रानी एक जंगल में पहुंची I उस जंगल में एक तालाब था I उसमें निर्मल जल भरा हुआ था I निर्मल जल देखकर रानी की प्यास तेज हो गई Iजल पीने के लगी रानी ने तालाब की सीढ़ियां उतरकर जैसे ही जल को स्पर्श किया, तभी उस जल में असंख्य कीड़े उत्पन्न हो गए I रानी ने दु:खी होकर उस गंदे जल को पीकर अपनी प्यास शांत की I

रानी ने एक पेड़ की छाया में बैठकर कुछ देर आराम करना चाहा तो उस पेड़ के पत्ते पलभर में सूखकर बिखर गए I रानी दूसरे पेड़ के नीचे जाकर बैठी जिस पेड़ के नीचे बैठती वही सुख जाता I

वन और सरोवर की यह दशा देखकर वहां के ग्वाले बहुत हैरान हुए I ग्वाले रानी को समीप के मंदिर में पुजारी जी के पास ले गए I रानी के चेहरे को देखकर ही पुजारी जान गए कि रानी अवश्य किसी बड़े घर की है I भाग्य के कारण दर-दर भटक रही है I

पुजारी ने रानी से कहा- ‘पुत्री! तुम कोई चिंता नहीं करो I मेरे साथ इस मंदिर में रहो. कुछ ही दिनों में सब ठीक हो जाएगा I’ पुजारी की बातों से रानी को बहुत सांत्वना मिली I रानी उस मंदिर में रहने लगी, रानी भोजन बनाती तो सब्जी जल जाती, आटे में कीड़े पड़ जाते. जल से बदबू आने लगती I पुजारी भी रानी के दुर्भाग्य से बहुत चिंतित होते हुए बोले- ‘हे पुत्री! अवश्य ही तुझसे कोई अनुचित काम हुआ है जिसके कारण देवता तुझसे नाराज हैं और उनकी नाराजगी के कारण ही तुम्हारी यह दशा हुई है Iपुजारी की बात सुनकर रानी ने अपने पति के आदेश पर मंदिर में न जाकर, शिव की पूजा नहीं करने की सारी कथा सुनाई I

पुजारी ने कहा- ‘अब तुम कोई चिंता नहीं करो I कल सोमवार है और कल से तुम सोलह सोमवार के व्रत करना शुरू कर दो I भगवान शिव अवश्य तुम्हारे दोषों को क्षमा कर देंगे I’ पुजारी की बात मानकर रानी ने सोलह सोमवार के व्रत प्रारंभ कर दिए I रानी सोमवार का व्रत करके शिव की विधिवत पूजा-अर्चना की तथा व्रतकथा सुनने लगी, जब रानी ने सत्रहवें सोमवार को विधिवत व्रत का समापन किया तो उधर उसके पति राजा के मन में रानी की याद आई, राजा ने तुरंत अपने सैनिकों को रानी को ढूँढकर लाने के लिए भेजा I रानी को ढूँढते हुए सैनिक मंदिर में पहुँचे और रानी से लौटकर चलने के लिए कहा, पुजारी ने सैनिकों से मना कर दिया और सैनिक निराश होकर लौट गए, उन्होंने लौटकर राजा को सारी बात बताईं I

राजा स्वयं उस मंदिर में पुजारी के पास पहुँचे और रानी को महल से निकाल देने के कारण पुजारी जी से क्षमा माँगी I पुजारी ने राजा से कहा- ‘यह सब भगवान शिव के प्रकोप के कारण हुआ है. इतना कहकर रानी को विदा किया I

राजा के साथ रानी महल में पहुँची I महल में बहुत खुशियाँ मनाई गईं I पूरे नगर को सजाया गया I राजा ने ब्राह्मणों को अन्न, वस्त्र और धन का दान दिया I नगर में निर्धनों को वस्त्र बाँटे गए I

रानी सोलह सोमवार का व्रत करते हुए महल में आनंदपूर्वक रहने लगी I भगवान शिव की अनुकम्पा से उसके जीवन में सुख ही सुख भर गए I

सोलह सोमवार के व्रत करने और कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएँ पूरी होती हैं और जीवन में किसी तरह की कमी नहीं होती है I स्त्री-पुरुष आनंदपूर्वक जीवन-यापन करते हुए मोक्ष को प्राप्त करते हैं I

16 somvar vrat pooja | 16 somvar vrat katha aarti | 16 सोमवार व्रत कथा aarti |16 somvar vrat aarti in hindi

16 somvar vrat pooja ke liye aarti kare.

जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभु हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
एकानन चतुरानन पंचांनन राजे स्वामी पंचांनन राजे
हंसानन गरुड़ासन हंसानन गरुड़ासन
वृषवाहन साजे ओम जय शिव ओंकारा
दो भुज चारु चतुर्भूज दश भुज ते सोहें स्वामी दश भुज ते सोहें
तीनों रूप निरखता तीनों रूप निरखता
त्रिभुवन जन मोहें ओम जय शिव ओंकारा
अक्षमाला बनमाला मुंडमालाधारी स्वामी मुंडमालाधारी
त्रिपुरारी धनसाली चंदन मृदमग चंदा
करमालाधारी ओम जय शिव ओंकारा
श्वेताम्बर पीताम्बर बाघाम्बर अंगें स्वामी बाघाम्बर अंगें
सनकादिक ब्रह्मादिक ब्रह्मादिक सनकादिक
भूतादिक संगें ओम जय शिव ओंकारा
करम श्रेष्ठ कमड़ंलू चक्र त्रिशूल धरता स्वामी चक्र त्रिशूल धरता
जगकर्ता जगहर्ता जगकर्ता जगहर्ता
जगपालनकर्ता ओम जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका स्वामी जानत अविवेका
प्रणवाक्षर के मध्यत प्रणवाक्षर के मध्य
ये तीनों एका ओम जय शिव ओंकारा
त्रिगुण स्वामीजी की आरती जो कोई नर गावें स्वामी जो कोई जन गावें
कहत शिवानंद स्वामी कहत शिवानंद स्वामी
मनवांछित फल पावें ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू जय शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा
ओम जय शिव ओंकारा प्रभू हर शिव ओंकारा
ब्रह्मा विष्णु सदाशिव ब्रह्मा विष्णु सदाशिव
अर्धांगी धारा ओम जय शिव ओंकारा

16 somvar vrat experiences |16 somvar vrat significance | 16 somvar vrat ka fal | 16 somvar vrat benefits | 16 सोमवार व्रत के फायदे | 16 somvar vrat ke fayede | 16 somvar vrat rules in hindi

16 somvar vrat experiences में ये देखा है कि जो लोग 16 सोमवार को सच्चे मन से करते हैं उनकी हर इच्छा पूरी होती है, चाहे वो उनकी सेहत के लिए हो या अपने प्रेमी को पाने के लिए ke liye padhiye 16 Somvar vrat katha ya 16 Somvar vrat story.

solah somvar vrat prasad recipe

solah somvar vrat prasad recipe ke liye aap suji ka halwa, kheer ya laddoo bana sakte hain.

solah somvar vrat prasad recipe – सूजी का हलवा रेसिपी के लिए 3/4 कटोरी घी को गरम कर ले, उसके खराब हमें 1 कटोरी सूजी डाले, उसके खराब हमें 1/2 कटोरी चीनी डाले, उसके खराब हमें 2-3 कटोरी पानी डाल दे, 5-8 मिनट धीमी इस्तेमाल करें आंच पे पकाने दे और हलवा तैयार है।
solah somvar vrat prasad recipe – खीर की रेसिपी के लिए 2 कटोरी चावल को उबाल कर पका ले और एक तरफ 4 कटोरी दूध में इलाइची पाउडर डाल कर पका ले, लगभाग 25 मिनट खराब पके हुए चावल दूध में दाल दे और 10-15 मिनट तक पकाए। खीर त्यार है.

solah somvar vrat prasad recipe
solah somvar vrat prasad recipe

16 somvar vrat kaise kare ?

16 सोमवार व्रत करने के लिए पूरा दिन भूखा रहकर शिव जी को सच्चे मन से याद करें और ओम नमः शिवाय का जाप करें।

16 somvar vra kab se shuru kare 2023 ?

16 सोमवार का व्रत 2023 सावन महीने से शुरू किया जाता है, हालांकी अब 5 दिसंबर 2023 से 16 सोमवार का व्रत शुरू कर सकते हैं I

16 somvar vrat kyu rakha jata hai ?

16 सोमवार का व्रत शिव जी को प्रसन्न करके अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए किया जाता है।

16 somvar vrat ka udyapan kaise karen ?

16 सोमवार व्रत के उद्यापन के लिए घर पर हवन करें, शिव को प्रसाद चढ़ाएं जिसके 3 भाग करें, एक गाय, दूसरा शिव और तीसरा खुद खाएं और नमक से दूर रहें।

16 somvar vrat kaise karte hain ?

16 सोमवार व्रत के लिए सुबह उठकर, नहाकर, सफेद रंग के वस्त्र पहन कर शिव की आराधना करें और शुद्ध दिन में केवल एक भोजन करे जिसका नमक न हो, इसमें सेंधा नमक का सेवन भी नहीं कर सकते।

period me 16 somvar vrat karna chahiye ?

पीरियड्स में सोमवार व्रत का व्रत नहीं रखना चाहिए, हालांकी आप किसी और से पूजा करवा सकती हैं पर पीरियड खत्म होने के 5वें दिन से आप व्रत फिर से रख सकती हैं।

16 somvar vrat me kya nahi karna chahiye ?

16 सोमवार व्रत में शराब, मांस, अंडे, सिगरेट और खाने से परहेज करना चाहिए। केवल एक भोजन कर सकते हैं वो भी बिना नमक का होना चाहिए।

16 somvar vrat me namak khana chahiye ?

नहीं, 16 सोमवार व्रत में नमक का इस्तेमामल भी नहीं कर सकते।

16 somvar vrat se kya hota hai ?

16 सोमवार व्रत शुरू करने से पहले ही अनी इच्छा सोचले और संकल्प करले, 16 सोमवार व्रत खत्म होने पर शिव जी प्रसन्न होकर आपकी इच्छा पूर्ण कर देते हैं पर 16 सोमवार व्रत को सच्चे मन और विधि से पूर्ण करना होता है वर्ना ये व्रत खंडित हो जाता है I

16 somvar vrat udyapan kab karna chahiye?

16 सोमवार व्रत उद्यापन 17 सोमवार को कर सकते हैं, यदि पीरियड्स हों तो इसे 18 सोमवार को भी किया जा सकता है।

16 somvar vrat 2023 start date ?

16 somvar vrat 2023 start date 5 दिसंबर 2023 है।

16 somvar vrat rakhne ke fayede ?

16 सोमवार व्रत करने से आपकी सारी इच्छा की पूर्ति होती है, ज्यादातार इसे कुंवारी महिलाएं रखती हैं एक अच्छे पति की कामना के लिए।

16 somvar vrat pura hone par kya kare ?

16 somvar vrat pura hone par हवन करें, जिसमें 108 बार ओम नमः शिवाय बोलकर आहुति दे।

16 somvar vrat kya hai ?

16 somvar vrat shiv ji ko prassan karne ke liye ek vrat hai jise ladka, ladki, bhudha, jawan koi bhi kar sakta hai.

16 somvar vrat mein kya khayen ?

16 सोमवार व्रत में मीठा भोजन एक समय किया जा सकता है। इस दिन आप शिव को चढ़ाया हुआ प्रसाद खा सकते हैं या फिर कोई भी फल का सेवन कर सकते हैं।

16 somvar vrat kab karna chahiye ?

सोलह सोमवार का व्रत सावन माह के पहले सोमवार पर शुरू करना उत्तम माना गया है, इसके साथ चैत्र, मार्गशीर्ष और वैशाख मास के पहले सोमवार से भी इसे आरंभ कर सकते हैं I

16 somvar vrat kis liye rakha jata hai ?

जैसे माता पार्वती ने 16 सोमवार का व्रत करके शिव जी को मनाया था, वैसे ये व्रत प्रेम विवाह के लिए किया जाता है। प्रेम विवाह के अलावा भी इसे सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है।

How to do 16 somvar vrat ?

To fast on 16 Monday, remain hungry for the whole day and remember Lord Shiva with a true heart and chant Om Namah Shivay.

16 somvar vrat food rules ?

For 16 somvar vrat or Monday fasts, one should avoid salted food, alcohol, ciggrates and meat.

When to start 16 somvar vrat ?

It is considered best to start the sixteen Monday fast on the first Monday of the month of Sawan, along with this it can also be started from the first Monday of Chaitra, Margashirsha and Vaishakh month.

What is 16 somvar vrat ?

16 Monday fast is a fast to please Lord Shiva which can be observed by any boy, girl, or most often, young women to have a good husband.

How to start 16 somvar vrat ?

To start 16 somvar vrat, woship Lord Shiva and chat mritunjaye mantra or om namah shivaye whenever you get time and avoid salted food. You can have only one meal after doing pooja in evening, that too without salt.

Why we do 16 somvar vrat ?

We do 16 somvar vrat to impress Lord Shiva to gain love, respect, happiness and positivity in life.

When to do 16 somvar vrat ?

Once can start 16 somvar vrat anytime, however, it’s best to start 16 somvar vrat in the begining of Sawan month.

How to end 16 somvar vrat ?

You can end it on 17th somvar by doing shiv pooja and doing hawan. You have to be on fast on this day as well and can eat one meal without salt.

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